दोहा पंचक. . . . . . ममता
दोहा पंचक. . . . . . ममता
ममता माँ की जानती, कैसा उसका लाल ।
वो रोया तो हो गए , गीले माँ के गाल ।।
ममता तो संसार में, होती है अनमोल ।
आते अक्सर बाद में, माँ के मीठे बोल ।।
आया ना तो पुत्र के, आयें बुरे खयाल ।
आया तो माँ पूछती, उस से कई सवाल ।।
माँ अपनी संतान को, समझे बस नादान ।
उसके मुख पर ढूँढती, ममता बस मुस्कान ।।
ममता का सागर कहाँ, मिलता बारम्बार ।
माँ का आँचल पुत्र का, होता है संसार ।।
सुशील सरना / 4-6-24