दोहा पंचक. . . . . पत्नी
दोहा पंचक. . . . . पत्नी
भार्या के अनुरोध का, घातक है प्रतिरोध ।
शीश झुका कर मानिए , उसका हर अनुरोध ।।
पत्नी के लावण्य का, जो करता गुणगान ।
उसकी थाली में मिलें, नित्य नये मिष्ठान ।।
भूले से करना नहीं, पत्नी को नाराज ।
पत्नी खुश तो प्यार से, देगी वो आवाज ।।
बहुत कठिन है जीतना , अगर मौन हो युद्ध ।
विषम काल में है उचित , बन कर रहना बुद्ध ।।
पत्नी से पंगा लिया, समझो बेड़ा गर्क ।
उल्टा लेगी अर्थ वो , जितने दोगे तर्क ।।
सुशील सरना / 8-6-24