दोहा पंचक. . . नैन
दोहा पंचक. . . नैन
नैनों की होने लगी, नैनों से ही रार ।
नैन द्वन्द्व में नैन ही, गए नैन से हार ।।
नैनों की बेचैनियाँ, नैनों के उन्माद ।
नैन समझते नैन के, मौन प्रणय संवाद ।।
नैन ढूँढते नैन में , नैनों का संसार ।
अंतस के हर स्वप्न को, नैन करें साकार ।।
नैन जानते नैन के, अनबोले सब राज ।
प्रथम प्रणय का नैन ही, करें सदा आगाज ।।
नैनों से छुपती नहीं, कभी नैन की बात ।
नैन निमंत्रण से शुरू , होते फिर उत्पात ।।
सुशील सरना / 30-12-24