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30 Dec 2024 · 1 min read

दोहा पंचक. . . नैन

दोहा पंचक. . . नैन

नैनों की होने लगी, नैनों से ही रार ।
नैन द्वन्द्व में नैन ही, गए नैन से हार ।।

नैनों की बेचैनियाँ, नैनों के उन्माद ।
नैन समझते नैन के, मौन प्रणय संवाद ।।

नैन ढूँढते नैन में , नैनों का संसार ।
अंतस के हर स्वप्न को, नैन करें साकार ।।

नैन जानते नैन के, अनबोले सब राज ।
प्रथम प्रणय का नैन ही, करें सदा आगाज ।।

नैनों से छुपती नहीं, कभी नैन की बात ।
नैन निमंत्रण से शुरू , होते फिर उत्पात ।।

सुशील सरना / 30-12-24

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