दोहा पंचक. . . नारी
दोहा पंचक. . . नारी
नर नारी से श्रेष्ठ है, हुई पुरानी बात ।
जीवन के हर क्षेत्र में, नारी देती मात ।।
नर नारी के बीच अब, नहीं जीत अरु हार ।
बनी शक्ति पर्याय अब, वर्तमान की नार ।।
कंधे से कंधा मिला, दे जीवन को अर्थ ।
नारी अब हर क्षेत्र में, लगने लगी समर्थ ।।
अनुपम कृति है ईश की, इस जग का आधार ।
लगे अधूरा सृष्टि का , नारी बिन शृंगार ।।
आसमान छूने चली, कल की अबला नार ।
देख पराक्रम नार का, चकित हुआ संसार ।।
सुशील सरना / 9-3-24