दोहा पंचक. . . . ज्ञान
दोहा पंचक. . . . ज्ञान
पढ़ लिख कर काबिल हुए, भूल गए व्यवहार ।
ज्ञान दंभ की धुंध में, गौण हुआ सत्कार ।।
पाया थोड़ा ज्ञान तो, तन -तन चलते खूब ।
लगी दिखाने पेड़ को , आँखें नन्ही दूब ।।
उच्च आचरण से हरें, तम के सभी विकार ।
करना अपने ज्ञान से, इस जग का उद्धार ।।
करें न अपने ज्ञान पर, कभी व्यर्थ अभिमान ।
ज्ञान अर्थ जो बाँटता, वो सच्चा इंसान ।।
ज्ञानवान को चाहिए, बाँटे अपना ज्ञान ।
ज्ञान दान इंसान को, दिलवाता सम्मान ।।
सुशील सरना / 1-10-24