Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 May 2024 · 1 min read

दोहा पंचक. . . .इश्क

दोहा पंचक. . . .इश्क

क्या सोये दिल इश्क में,खड़े सिरहाने ख्वाब ।
नशा हुस्न का यूँ चढ़ा, फीकी लगी शराब ।।

उफ्फ बला की शोखियाँ, वो कातिल अंदाज ।
धीरे-धीरे वस्ल में, राज रहे ना राज ।।

दो लफ्जों में दे दिया, उल्फत का पैगाम ।
इन्तिज़ार में काट दी, हमने उम्र तमाम ।।

रह -रह कर उड़ती रही, रुख पर गिरी नकाब ।
आँखों के अल्फाज़ को, समझा नहीं शबाब ।।

सुर्ख आरिजों पर हया , ऐसा करे कमाल ।
आ कर फिर उस शोख का , जाता नहीं खयाल ।।

सुशील सरना / 21-5-24

97 Views

You may also like these posts

कैसे चला जाऊ तुम्हारे रास्ते से ऐ जिंदगी
कैसे चला जाऊ तुम्हारे रास्ते से ऐ जिंदगी
देवराज यादव
जाने के बाद .......
जाने के बाद .......
sushil sarna
"हुस्न की कील"
Dr. Kishan tandon kranti
"गलतियों का कठपुतला हूंँ मैं ll
पूर्वार्थ
किसी भी रूप में ढ़ालो ढ़लेगा प्यार से झुककर
किसी भी रूप में ढ़ालो ढ़लेगा प्यार से झुककर
आर.एस. 'प्रीतम'
** जिंदगी  मे नहीं शिकायत है **
** जिंदगी मे नहीं शिकायत है **
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मोहब्बत
मोहब्बत
निकेश कुमार ठाकुर
नारी की संवेदना
नारी की संवेदना
Dr. Vaishali Verma
आपको हम
आपको हम
Dr fauzia Naseem shad
समस्याएं भी निराश होती हैं
समस्याएं भी निराश होती हैं
Sonam Puneet Dubey
तुम      चुप    रहो    तो  मैं  कुछ  बोलूँ
तुम चुप रहो तो मैं कुछ बोलूँ
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
#लघुवृत्तांत
#लघुवृत्तांत
*प्रणय*
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ग़ज़ल की ये क़िताब,
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ग़ज़ल की ये क़िताब,
Sahil Ahmad
चौपाई छंद गीत
चौपाई छंद गीत
seema sharma
ज़िंदगी का फ़लसफ़ा
ज़िंदगी का फ़लसफ़ा
Dr. Rajeev Jain
ग़ज़ल-हलाहल से भरे हैं ज़ाम मेरे
ग़ज़ल-हलाहल से भरे हैं ज़ाम मेरे
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
अखिला कुमुदिनी
अखिला कुमुदिनी
Santosh Soni
हुनर का मेहनताना
हुनर का मेहनताना
आर एस आघात
*भारत भूषण जैन की सद्विचार डायरी*
*भारत भूषण जैन की सद्विचार डायरी*
Ravi Prakash
राम
राम
Sanjay ' शून्य'
यादों का मेला लगता है रोज सपनो में, पर जब जब भवर होते ही आंख
यादों का मेला लगता है रोज सपनो में, पर जब जब भवर होते ही आंख
Iamalpu9492
3477🌷 *पूर्णिका* 🌷
3477🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
सुशब्द बनाते मित्र बहुत
सुशब्द बनाते मित्र बहुत
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
पेड़ों की छाया और बुजुर्गों का साया
पेड़ों की छाया और बुजुर्गों का साया
VINOD CHAUHAN
मेरा पता
मेरा पता
Jyoti Roshni
हाय री गरीबी कैसी मेरा घर  टूटा है
हाय री गरीबी कैसी मेरा घर टूटा है
कृष्णकांत गुर्जर
यारों... फिर ना होगा इंतजार यूँ किसी का !!
यारों... फिर ना होगा इंतजार यूँ किसी का !!
Ravi Betulwala
ठीक है
ठीक है
Neeraj Agarwal
दु:ख का रोना मत रोना कभी किसी के सामने क्योंकि लोग अफसोस नही
दु:ख का रोना मत रोना कभी किसी के सामने क्योंकि लोग अफसोस नही
Ranjeet kumar patre
मेरे नसीब
मेरे नसीब
ललकार भारद्वाज
Loading...