दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
पागल मन की मर्ज़ियाँ, उत्पाती उन्माद ।
अधरों के मनुहार का, अधर करें अनुवाद ।।
दो नयनों की रार में, हार गए इंकार ।
अधरों की मनुहार फिर,अधर करें स्वीकार ।।
नैन शरों के घाव का, आलिंगन उपचार ।
मौन समर्पण ने किया, साँसों का शृंगार ।।
सुशील सरना / 8-2-24