दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
कल तो कल का काल है, काल बड़ा विकराल ।
काल गर्भ में है छुपा, इच्छाओं का जाल ।।
कल में छल का वास है, कल में जीवित प्यास ।
कल में जीती जिंदगी, श्वांस – श्वांस मधुमास ।।
वर्तमान का अंश था, बीते कल का काल ।
भावी कल के काल की , समझ न आये चाल ।।
सुशील सरना / 5-2-24