दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
कब जीवन के रास्ते , होते कभी सपाट ।
छितरे-छितरे सुख यहाँ, दुख की मिलती हाट ।।
ढूँढे अपने दोष जो, कम हैं वो इंसान ।
पर औरों के दोष पर, पूर्ण लगाते ध्यान ।।
सच्चाई के ताप से, जलता झूठ सफेद ।
खोले सारी असलियत , छलका मुख पर स्वेद ।।
सुशील सरना /14-12-24