दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
सीमित सन्तानें हुईं, हुआ लाड विस्तार ।
इच्छा हर पूरी करें, मात-पिता लाचार ।।
अर्थ उपार्जन के लिए, लाल चला पर देश ।
ममता आँगन देखती, कहाँ गया दुर्गेश ।।
चुन्नी सरकी लाज की, भोंडा हुआ शृंगार ।
देह प्रदर्शन बन गया, मुक्त लोक आधार ।।
सुशील सरना / 4-2-24