दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
नैनों के चोटिल चले, मधुशाला के द्वार ।
खोलेंगे हर घूँट में, ये मन के उद्गार ।।
बड़ा अजब है नयन का, मधुशाला संसार ।
इसके रिन्दों का कभी , उतरे नहीं खुमार ।।
हाला जिसने नयन की, चखी नयन से यार ।
उससे फिर छूटा नहीं, कभी नयन का द्वार ।।
सुशील सरना / 11-12-24