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22 Nov 2024 · 1 min read

दोहा त्रयी. . .

दोहा त्रयी. . .

पन्ने पीले पड़ गए, बीते कल के यार ।
धुँधली आँखें बीनती , बिखरे स्वप्न हजार ।।

कुछ भूले कुछ याद हैं, जीवन के वो मोड़ ।
बढ़ी जहाँ से जिंदगी , स्वप्न हजारों छोड़ ।।

कुछ भी तो कहता नहीं, थमा हुआ तूफान ।
बूढ़ी आँखें काल का , जैसे मौन मकान ।।

सुशील सरना / 22/11/24

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