दोहा त्रयी. . . . .
दोहा त्रयी. . . . .
बिना आग उठता नहीं, धुआँ कभी सरकार ।
कह देती है आँख सब, हाल दिलों का यार ।।
लिव इन के नव रोग से, दूषित हुआ समाज ।
ऐसे कुत्सित कृत्य से, तनिक न आती लाज ।।
लिव -इन को मिलता नहीं, सामाजिक सम्मान ।
अपमानित सर्वत्र फिर , होता वो इंसान ।।
सुशील सरना / 21-11-24