दोहा त्रयी. . . . .
दोहा त्रयी. . . . .
आँखों से आँखे मिली, चले जाम पर जाम ।
बंधन टूटा सब्र का, इश्क हुआ बदनाम ।।
यह अश्कों के काफिले , आहों के दीवान ।
ग़ज़लें रूठी बज्म से, तड़प गए अरमान ।।
चरम प्रेम प्रस्तावना, करे शलभ दिन रैन ।
लौ में जलकर ही मिले, उसके दिल को चैन ।।
सुशील सरना / 8-11-24