दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
बाती करती दीप से, बार – बार मनुहार ।
आज रात भर तू मुझे, करने दे उजियार ।।
बाती बोली दीप से, आज बड़ा त्योहार ।
करने दो तुम अब मुझे,श्रेष्ठ अवनि शृंगार ।।
कण – कण पर शोभित करे,बाती आज प्रकाश ।
देख अवनि को हो गया, मंत्र- मुग्ध आकाश ।।
सुशील सरना / 30-10-24