दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
गरिमा छिद्रित हो गई, प्यार शब्द की आज ।
कामुकता ने प्यार का, किया कलंकित ताज ।।
पीर वही संसार में, हरे सभी की पीर ।
हरण करे जो दर्द का, दृग से बहता नीर ।।
कहने को संसार में, सुख हैं अपरम्पार ।
दुख का रेला पर करे, हर सुख का संहार ।।
सुशील सरना / 26-10-24