दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
रौद्र रूप तूफान का, दूर बहुत है तीर ।
बिना पाल की नाव, बैरी बना समीर । ।
तुंद हवा के वेग से, झड़े पीत सब पात ।
शाखाओं से छाँव की, दूर हुई सौगात ।।
काली सड़कें मौन हैं, तीव्र बहुत है ताप ।
बाहर जाना तो लगे , जैसे कोई श्राप ।।
सुशील सरना / 11-6-24