दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . .
कितना किसको क्या कहें, लगते सभी सुजान ।
ज्ञान बाँटना आजकल, जैसे हो अपमान ।।
अर्थ आवरण में छुपी, अपनों की पहचान ।
सुख -दुख सब एकल हुए, रिश्ते सब बेजान ।।
अभिव्यक्त कैसे करें, अन्तस के उद्गार ।
मौन व्योम के मध्य है, मुक्त प्रीत शृंगार ।।
सुशील सरना / 12-1-24