दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
सब कुछ है संसार में, आकर्षण अनुराग ।
दूर-दूर तक प्रीत का , मिलता नहीं पराग ।।
मौन वरण अन्तस करे, चरम करे जब रास ।
स्पर्शों के वेग में, बढ़ती जाती प्यास ।।
मिट जाते हैं रेत में, लहरों के अरमान ।
मौन तटों पर प्रेम की , रह जाती पहचान ।।
सुशील सरना / 10-4-24