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10 Apr 2024 · 1 min read

दोहा त्रयी. . . .

दोहा त्रयी. . . .

सब कुछ है संसार में, आकर्षण अनुराग ।
दूर-दूर तक प्रीत का , मिलता नहीं पराग ।।

मौन वरण अन्तस करे, चरम करे जब रास ।
स्पर्शों के वेग में, बढ़ती जाती प्यास ।।

मिट जाते हैं रेत में, लहरों के अरमान ।
मौन तटों पर प्रेम की , रह जाती पहचान ।।

सुशील सरना / 10-4-24

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