दोहा त्रयी. . . शंका
दोहा त्रयी. . . शंका
शंका व्यर्थ न कीजिए, यह दुख का आधार ।
मन का छीने चैन यह , शूलों का संसार ।।
शंका का संसार में, कोई नहीं निदान ।
इसके चलते हों सदा, रिश्ते लहू लुहान ।।
शंका बैरी चैन की, नफरत का यह द्वार ।
प्यार भरे संसार में, यह भरती अंगार ।।
सुशील सरना / 17-1-24