दोहा त्रयी. . . अज्ञानी
दोहा त्रयी. . . अज्ञानी
अज्ञानी को ज्ञान का, ज्ञानी दे उपदेश ।
अपढ़ समझता स्वयं को, जैसे हो अवधेश ।
अज्ञानी तो ज्ञान पर, करते सदा क्लेश ।
कैसे उनके कृत्य पर, गर्व करेगा देश ।।
अज्ञानी में ज्ञान का, होता बड़ा घमंड ।
तिरस्कार का अन्ततः, भोगे पागल दण्ड ।।
सुशील सरना / 5-11-24