दोहा छंद भाग 2
मित्रो मैने पहली पोस्ट में दोहा छंद के भाव अनुसार प्रकार बताए थे । आज प्रस्तुत है ,शिल्प के आधार पर दोहों के प्रकार । जो इनमें प्रयुक्त वर्ण के आधार पर है।
दोहों के प्रकार अनुसार कोष्ठक में उनके नाम लिखे है। सभी दोहे मेरे स्वयं के लिखे हुए है।
१.भ्रामर
२. सुभ्रामर
३. शरभ
४. श्येन
५. मंडूक
६. मर्कट
७. करभ
८. नर
९. हंस
१०. गयंद
११. पयोधर
१२. बल
१३. पान
१४. त्रिकल
१५. कच्छप
१६. मच्छ
१७. शार्दूल
१८. अहिवर
१९. व्याल
२०. विडाल
२१. श्वान
२२. उदर
२३. सर्प
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मंत्र जाप हो नियम से,तभी काम की चीज़।
वरना तो इक रोग है, कब समझे नाचीज़। 1
(हंस)
नाचीज़ कोय भी नहीं ,सब ईश्वर के अंश।
अपनी अपनी हैसियत,क्या पदवी क्या वंश। 2(गयंद)
वंशवाद के सामने ,बौने लोग अनेक।
स्तुतियां जो गाते फिरे, दोनों घुटने टेक। 3
(करभ)
टेक टेक घुटने चले,फिर भी करते दौड़।
कोई कितना रेंगता,लगी हुई है हौड़। 4
( करभ)
हौड़ देखिये दौड़ में,ले कुर्सी की आस।
चाहे पूरा तन छिले, आवे सत्ता पास। 5
(मंडूक)
पास फ़ैल का खेल ही, होता आम चुनाव।
सारी ताकत झोंक कर, खेलें अपना दांव। 6
(मर्कट)
दांव एक लग जाय तो,बन जाए सब काम।
पाँच साल का काम है, दस पीढ़ी आराम। 7
(करभ)
करे रात दिन पाप नर, ले गंगा की आस।
धो देगी सब सुरसरी,पाप करो बिंदास। 8
(हंस)
रोग तीन संसार में,लोभ मोह सह क्रोध।
इन तीनो को जीतकर,पावे जीवन बोध। 9
(नर)
कर्ज करें सो पिता नहीँ, कहाँ कुमारग मात।
प्रतिउतरा तिरिया कहाँ,नहीं विरोधी भ्रात। 10 (हंस)
कुहरे में सब एक है,नज़र न आये भेद।
क्या काला क्या ऊजला,क्या रोगी क्या बेद।
11( मंडूक)
बिजली पर बिजली गिरी,कौंध गया फिर स्याह।
बढ़ती हूमस बूँद से,निकले तन से दाह। 12
(गयंद)
मच्छर मख्खी कीट सब,खूब मनावें मौज।
मानव पल पल खो रहा,इस मौसम में ओज। 13 (पयोधर)
आँधी आई मीचिये,अपनी दोनों आँख।
यह प्रकृति का रूप है,भारी सब पर राख। 14 (करभ)
तन स्वेदित होने लगा ,निकले बहकर रोग।
क्या मौसम का रूप है,मानव बने निरोग । 15 (हंस)
पुलकित कपि दल भय सकल , प्रभु हनतअरिदल बल।
हरषित रघुवर लखन सह, लख समर तड़पत खल। 16
आपा धापी रोज़ की, कैसी आंधी दौड़।
आबो दाना खो गया ,रूखी सूखी छोड़।
17 ( भ्रामर))
काली काया हो रही, पानी बीता गात।
दुखिया ये जीवन बना,जैसे काली रात।
(शरभ)
रिमझिम बरसे बादली, आवे पी की याद।
चले गए साजन कहीं, कुछ कहने के बाद।। (नर)
(सभी लघु मात्रिक)
रिमझिम रिमझिम मत बरस,हिय उमगत बस दरद।
बरसत जब यह दिवस निशि,
तन ठिठुरत जनि शरद। (सर्प)
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मधु गौतम ( कलम घिसाई)
कोटा राजस्थान
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इसके अतिरिक्त अर्थ के आधार पर दोहे कई प्रकार के होते हैं, जिनमें प्रत्येक प्रकार का निर्माण छंद, मात्रा, और यति-गति के नियमों के आधार पर होता है। हालांकि दोहा छंद में मुख्य रूप से मात्राएँ और यति का महत्व होता है, इसे विविध शैलियों में बाँटा जा सकता है। यहाँ 25 प्रकार के दोहों के नाम दिए जा रहे हैं:
1. शुद्ध दोहा
2. आर्य दोहा
3. वीरगाथा दोहा
4. श्रृंगारिक दोहा
5. नीतिपरक दोहा
6. भक्तिपरक दोहा
7. प्रश्नवाची दोहा
8. उत्तरवाची दोहा
9. प्रशंसा दोहा
10. व्यंग्यात्मक दोहा
11. देशभक्ति दोहा
12. आध्यात्मिक दोहा
13. शिक्षापरक दोहा
14. नैतिक दोहा
15. प्रकृतिपरक दोहा
16. विरह दोहा
17. मंगलकामना दोहा
18. उपदेशात्मक दोहा
19. विद्यापरक दोहा
20. राजनीतिक दोहा
21. रासिक दोहा
22. नारायण दोहा
23. शौर्य दोहा
24. विनय दोहा
25. बचपन दोहा
इन प्रकारों में दोहों की भावना और विषयवस्तु बदलती रहती है, जबकि छंद का आधार मुख्यत: एक ही रहता है।