दोहा चौका. . . .
दोहा चौका. . . .
किस्मत में सबकी कहाँ, होती सुख की सीप ।
दुख लेकिन हर व्यक्ति के , रहते सदा समीप ।।
जीवन मेें सच्चे कहाँ, मिलते आज हबीब ।
अपनेपन के भेस में, छलते यहाँ रकीब ।।
जीवन का हर रास्ता , जा मिलता उस घाट ।
जहाँ मिटें हर जीव के , सांसारिक सब ठाट ।।
नदिया से होते नहीं, पृथक कभी भी तीर ।
कब बदली पर तीर से, नदिया की तकदीर ।।
सुशील सरना / 13-12-24