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13 Dec 2024 · 1 min read

दोहा चौका. . . .

दोहा चौका. . . .

किस्मत में सबकी कहाँ, होती सुख की सीप ।
दुख लेकिन हर व्यक्ति के , रहते सदा समीप ।।

जीवन मेें सच्चे कहाँ, मिलते आज हबीब ।
अपनेपन के भेस में, छलते यहाँ रकीब ।।

जीवन का हर रास्ता , जा मिलता उस घाट ।
जहाँ मिटें हर जीव के , सांसारिक सब ठाट ।।

नदिया से होते नहीं, पृथक कभी भी तीर ।
कब बदली पर तीर से, नदिया की तकदीर ।।

सुशील सरना / 13-12-24

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