दोहा गीत
जीवन का हर मोड़ ही, होता कितना खास
समय लौट आता नहीं, कभी हमारे पास
जैसे बनती सांझ है, उगी सुनहरी भोर
यूँ ही अपनी ज़िन्दगी, चले मौत की ओर
जीवन हो या हो मरण, नहीं हमारे हाथ
समय चलाता है हमें, हम सब उसके दास
जीवन का हर मोड़ ही, होता कितना खास
होते हैं उस वक़्त ही, हम कितना मजबूर
गम जब अपने पास हों, खुशियाँ सारी दूर
रहता बड़ा उदास है, दिल चाहें दिन रात
रहती है इसमें दबी, अच्छे दिन की आस
जीवन का हर मोड़ ही, होता कितना खास
चलते ही चलते रहे, हमें मिली जो राह
कर्तव्यों की राह पर , मारी मन की चाह
अपनों ने ही दे दिया, जब कांटों का ताज
अपने मन की आह का, हुआ तभी अहसास
जीवन का हर मोड़ ही, होता कितना खास
26-04-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद