दोहा – कानन
दोहा — कानन
मानव हित में हम करें,कानन रक्षा आज।
पर्यावरणीय शुद्वता ,प्यार भरा आगाज।।
पेड़ पौध को काटते , करते बहुत अनर्थ।
उजड़ रहे कानन सभी,होत योजना व्यर्थ।।
सुंदर घर की चाह में , काटे वृक्ष अंनत।
लौह यही औजार ये,करती जीवन अंत।।
वृक्ष लगाओ खूब अब,धरती खिले बसन्त।
कानन हो जाए भरा,खुशियां मिले अनंत।।
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रचनाकार डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822