दोहरा मापदंड
दोहरा मापदण्ड
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राम मंदिर भूमि पूजन से एक बार फिर माहौल बिगाड़ने की साजिश हो रही है।बात पहले तो प्रधानमंत्री के भूमि पूजन पर सवालों के साथ तर्क वितर्क खूब हुआ ,अलग अलग तर्क दिए गयेऔर फिर कोरोना की आड़ में कार्यक्रम को टालने के पक्ष में खूब बयान बाजी हुई।प्रधानमंत्री का भूमि पूजन सही गलत हो सकता है ।लेकिन भूमि पूजन के समय के निर्धारण का हक सिर्फ राम जन्म भूमि तीर्थ को ही था, जिसके लिए अपने ध्यान, ज्ञान, बुद्धि, विवेक से फैसला किया और पूजन का कार्यक्रम पूरा किया।सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हिसाब से सब कुछ हो रहा है।दूसरे पक्ष को भी जमीन योगी की उ.प्र. सरकार ने सौंप दी है।
अब जबकि दूसरे पक्ष ने फैसले के विरोध में पुनर्विचार याचिका भी नहीं डाली और अब जब मंदिर का निर्माण कार्य शुरु हो रहा है तब कुछ लोग माहौल खराब कर हिंदू मुसलमान में संघर्ष की साजिश की राजनीति कर रहे हैं।सुप्रीम कोर्ट को ही निशाना बनाया जा रहा है।मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ,जफरयाब जिलानी, असद्दुदीन ओवैसी ,शफीकुर्रहमान वर्क अब जिस तरह के बयान दे रहे हैं वो न केवल सुप्रीम कोर्ट को पक्षपाती ठहराने की कोशिशें कर रहे हैं बल्कि उसके आदेशों की अवहेलना अवमानना भी कर रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि ओवैसी और वर्क जनता द्वारा चुने हुए देश की सबसे बड़ी पंचायत के सदस्य हैं।एक और जहाँ मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने तो जहाँ भूमि पूजन से पहले ही असंवैधानिक रूप से धमकी दे डाली वहीं आल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष साजिद रशीदी ने तो खुलेआम मंदिर तोड़कर फिर मस्जिद बनाने की धमकी दे डाली।पश्चिम बंगाल में संगठित गिरोह की भाँति पूजा पाठ कार्यक्रम कर रहे लोगों पर बेदर्दी से हिंसक हमला कर मार डालने तक का प्रयास हुआ।
अब प्रश्न ये उठता है कि क्या एक पक्ष कानून और संविधान से ऊपर है?
कभी जे.एन.यू. में देश विरोधी नारे लगते है पाकिस्तान का झंडा लहराया जाता है,भारत के झंडे जलाकर भारत तेरे टुकड़े होंगे की गूंज सुनाई देती है,वहीं एन.आर.सी.कानून के विरोध में संविधान बचाओ का नारा देकर शाहीन को बंधक बनाये रखा जाता है।पी एफ आई दिल्ली /उ.प्र को जलाने की साजिश रचती रहती है।
आज समस्या यह है कि राजनीतिक दल और लोग हर बात को वोटों की राजनीति के हिसाब से देखते, समझते,समर्थन या विरोध करते हैं।राजनीति की आड़ में लोगों का उपयोग किया जाता है और जनता चुपचाप सिर्फ वो देखती है जिसे उसका नेता दिखाना चाहती है,इस चक्कर में वो अपना भला बुरा भी नहीं देख पाती और अपने ही लोगों की व संपत्तियों को खोकर भी मौन रहती है। जिससे न केवल आपसी भाई चारा झुलस रहा है बल्कि देश भी पिछड़ रहा है।
आवश्यकता इस बात की है संविधान और कानून सबके लिये कथित रूप से ही नहीं बल्कि धरातल पर भी समान दिखना चाहिए।अन्यथा ऐसे ही देश का माहौल भाईचारा बनता बिगड़ता रहेगाऔर देश दो कदम आगे और एक कदम पीछे यूँ ही घिसटता रहेगा।
जय हिंद जय भारत
?सुधीर श्रीवास्तव
8115285921