दोस्त तेरी खुशी
दोस्त,यार,साथी,मित्र,सहचर,और न जाने कितने अलग नाम है इस रिश्ते के । जब गहराई से सोचो तो यकीन होता है कि जिंदगी में गजब के मायने है इस शब्द के।
कहां से आते है ये दोस्त ?
कैसे बनता है ये रिश्ता?
और क्या महत्व है इस रिश्ते का?
आपने कभी सोचा है-
आप अगर अंदाजा भी लगाना चाहोगे तो अन्दाजा भी नही लगा पाओगे ।यह एक ऐसा रिस्ता है।
“जब सारे रिश्ते अपना महत्व खोने लगते है या पहुच से दूर हो जाते है , तभी लोगों की भीड़ से एक फरिस्ता निकल कर आता है वो है- दोस्त , और उससे जो रिस्ता रिश्ता बनता है वो है दोस्ती” ।
यह खून का रिश्ता नही होता इसके लिए किसी फंक्शन या संस्कार की आवश्यकता भी नही होती न ही इस रिश्ते को जाति मजहब धर्म सम्प्रदाय में बंधा जा सकता है इसकी सीमा अनंत है। यह एक ऐसा रिश्ता है जिसको किसी पहचान की आवश्यकता नही होती । इस रिश्ते में न तो कोई शर्त न ही कोई डिमांड होती है, सिर्फ एक दूसरे के लिए त्याग होता है , दोस्त की खुसी में अपनी खुशी दोस्त के गम में खुद को गम दिखाई देता है । दोस्त के बिना जीवन की कल्पना व्यर्थ है।
आज के दौर में समय के साथ ,भागदौड़ में कई दोस्त बिछड़ गए हैं कुछ दोस्तों को हम भूल गए है , कुछ आजकल अपनी ज़िन्दगी में खुश है और हमे भूल गए हैं उनको याद करें और उन्हें अपनी याद दिलाये । और अपने इस प्यारे से दोस्ती के अटूट रिश्ते को हमेशा बनाये रखें।
कुछ लाइन अपने दोस्त और दोस्ती के नाम
क्यूं खफा सा लगने लगा है तू,
छुप कर बैठा है कहाँ पर तू,
एक कदम भी , है मुश्किल है चलना तेरे बिन,
प्रकाश के सागर में भी, है अंधेरा तेरे बिन।
हूँ अकेला आज मैं ,इन रिश्तो की भीड़ में,
कोई पंछी अब नही है, मेरे दिल के नीड़ में।
देख अब तू हाल मेरा, बिन तेरे बेहाल हूँ,
लाख दौलत है मेरी पर, तेरे बिन कंगाल हूँ।
आज लग जा आ गले , नीले अम्बर के तले,
सुर सजें और धुन बजे, तू मिले और हम मिले ।
तू मिले तो खुशी, न मिले तो ख़ुशी
हो जहाँ तू खुशी मैं वहाँ ही खुशी।
मैं तो चाहूँ यही, तेरी ही तो ख़ुशी
साथ तेरे हुं तो , तेरे संग की खुशी
न रहे साथ तो, याद करके खुशी
खुश रहे तू सदा मेरे दिल की दुआ
मैं रहूँ तो खुशी न रहूं तो खुशी
तू मिले तो खुशी, न मिले तो खुशी,
हो जहाँ तू खुशी ,मैं वहाँ ही खुशी ।
फ्रेंडशिप डे की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ