दोस्तों!
दोस्तों!
एक यह दौर है जब सब कुछ है, सिवाय सुक़ून के। एक पिछला दौर था, जिसमें और कुछ था न थी, सुक़ून भरपूर था।
जिन्होंने वो दौर देखा, उनमें एक मैं भी हूँ। जो उन गुज़रे दिनों को पूरी शिद्दत से याद करता हूँ। हर दिन, हर पल। इसी की एक बानगी है यह छोटी सी नज़्म यानि लघु-कविता।।
【प्रणय प्रभात】