दोस्ती
दोस्तों पर भरोसा छोड़ दिया हमने
दुश्मनों से भी नाता तोड दिया हमने
परेशान था मैं रोज बदले चेहरों से
आईने से रिश्ता जोड़ दिया हमने
आज बरसा था सावन झूम कर
बूंदों में अश्कों छोड़ दिया हमने
हर दफा मेरी पीठ पर बेवफाई थी
तो वफा को ही निचोड़ दिया हमने
तुझे तो कुछ कहा नहीं प्रतिभा ने
बस अकड़ को मरोड़ दिया हमने
सलामत रहे ए मेरे दोस्तों में छिपी दुश्मनी
ये दोस्ती निभाना कबका छोड़ दिया हमने