दोस्ती की हद
दोस्त भगवान से भी बड़ा होता हैं ।
हर मुसीबत में वो ही साथ खड़ा होताहैं ।
सब रिश्तों से ऊपर दोस्ती होती हैं ।
कोई मुझसे एक वरदान मांगने की कहे तो में दोस्तों की कुशलता मांगू। एक दोस्त के लिय में हजार परिवार कुर्बान कर दूँ।
दुनिया में सबसे गरीब वो हे जिसके दोस्त नही हैं ।
दोस्त हैं तो जीवन हैं वरना कुछ नही। आदि आदि संदेश हज़ार बार पढ़ने को मिलते हैं तो उस ही प्रकार का असर दिखाते हैं जैसा की 100 बार बोला गया झूँठ सच मान लिया जाता हैं ।
मुझे भी ऐसे msg बहुत मिले लेकिन मेरे गले नही उतरे। सो मै इस आभाषी दुनिया से बाहर निकल गया। जो की आभाषी दुनिया वालों को जाहिल गंवार बेवकूफी लगती हैं । रात दिन दोस्तों की सेवा में लगे रहने वाले इतना जान ले। आखिरी 8 कंधो की जरूरत के समय जाहिल गंवार पड़ोसी या रिश्तेदार ही साथ देतेहैं । इनका साथ छुड़ाने वाले ज्ञानी मौजमस्ती वाले दोस्त tissue पेपर की तरह इस्तेमाल कर के निकल जाते हैं ।
पर यह सच वो लोग नही समझ सकते जिनकी आँख खुलते ही राम का नाम या बुजुर्गो का आशीर्वाद लेने की बजाय जो आवारा दोस्तों के गुड मोर्निंग या सोने से पहले टेक केयर कहने वालो को ही अपना समझते हैं । उन पर इतना समय कुर्बान करते हैं कि अपना परिवार बर्बाद भी हो जाय तो भी उनका गुड लक ही समझते हैं । पर वो उस हिप्नोटिज्म से बाहर नही निकल सकते। उनको हर बंधन नागवार लगता हैं ।और एसा हैं तो मैं उसे गलत नही समझता क्योंकि तूफ़ान में हर कोई नही बचता विवेकशील ही बच पाते है।
आजकल वस्त्र बदलना और ..पार्टनर ..बदलने में कोई अंतर न समझने वाले ही अपने आपको मॉडर्न समझते हैं बाकि को तो जाहिल गंवार माना जाता हैं ।
पति पत्नी के रिश्ते में सड़ांध और bf -gf के रिश्ते में खुशबु आने लगी हैं । पति पत्नी भी सार्वजनिक जगह pr frnd दिखने दिखाने में ज्यादा विश्वास करते हैं ।यह सृष्टि का बदलाव हैं आज से नही काफी समय से चल रहा हे।कुछ लोग इसे आत्मसात कर लेते हैं कुछ आत्मसात का दिखावा कर लेते हैं बाकि परेशान होकर दुनिया से कट जाते हैं ।मेरा लिखने का तात्पर्य यहां यह नहीं है कि दोस्ती अच्छी बात नहीं। दोस्ती भी व्यक्ति के जीवन का आवश्यक ही नहीं अति आवश्यक अंग है ,परंतु यह किसी अन्य रिश्ते का अतिक्रमण करें इस बात का अवश्य ख्याल किया जाना चाहिए।
यानि दोस्ती की हद को सरहद की तरह समझना आवश्यक है।
कलम घिसाई