दोष किसका?
घंटियां, घननघन, घनघनाती रही,
वो बचाने को अस्मत कसमसाती रही,
पुकार उसकी को लेकिन अनसुना कर दिया,
रव ने भी, राक्षस ने भी !!!
– सुनील सुमन
घंटियां, घननघन, घनघनाती रही,
वो बचाने को अस्मत कसमसाती रही,
पुकार उसकी को लेकिन अनसुना कर दिया,
रव ने भी, राक्षस ने भी !!!
– सुनील सुमन