दोपहर की धूप
“दोपहर की धूप”
दोपहर की धूप जब, घर आंगन में उतर आती है
सूरज की किरणें भी, अलसाई सी बिछ जाती हैं
लेता है धवल उजियारा सभी अपने आलिंगन में
घर के कोने कोने में स्वर्ण रश्मि रच बस जाती है
बड़ा विहंगम दृश्य होता है, ये प्रकृति के प्रेम का
जब ये धूप खुले हाथों अपना वात्सल्य लुटाती है
~ नितिन जोधपुरी “छीण”