दोजख से वास्ता है हर इक आदमी का
दोजख से वास्ता है हर इक आदमी का
जन्नत कहाँ नसीब है किसी के नसीब में
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
दोजख से वास्ता है हर इक आदमी का
जन्नत कहाँ नसीब है किसी के नसीब में
-सिद्धार्थ गोरखपुरी