दैनिक आहार योजना
एक दिन एक पादरी साहब ने मुझे एक हिंदी में अनुवादित पवित्र पुस्तक बाइबल की प्रति भेंट की । जब मैंने उस पुस्तक के प्रथम पृष्ठ को खोला तो उसके अंदर बाईं ओर के पेज के मध्य में कुछ निम्न पंक्तियां छपी थीं
‘ यदि आप बीमार हैं तो अपने भोजन की थाली अपने नौकर को दे दीजिए और जो भोजन की थाली उसे दे रहे हैं स्वयं ग्रहण कर लीजिए । दस दिन तक ऐसा करने के बाद आप स्वस्थ होने लगेंगे ‘
मैं आहार पर नियंत्रण की इस संकल्पना से बहुत प्रभावित हुआ मुझे लगा यह 2000 साल पुराना एक सरल , प्रथम प्रमाणित दस्तावेज के स्वरूप में दिया गया स्वस्थ आहार नियंत्रण का सटीक विवरण है ।( first ever documented proof of healthy & easy dietary shadule ) मैंने इस संकल्पना को अपने मरीजों के आहार में इस प्रयोग को लागू करने का निर्णय लिया
फिर एक दिन किसी मरीज को मैंने सुझाव दिया कि तुम बीमार हो और तुम्हें आहार नियंत्रण की जरूरत है तुम घर जाकर आज से अपनी थाली अपने नौकर को खिला देना और जो भोजन थाली में रखकर तुम उसे देने जा रहे हो स्वयं ले लेना । यह समझ कर उस दिन वह खुशी-खुशी अपने घर चला गया । अगली बार आने पर उसने बताया कि जब उसने अपने घर में इस योजना को लागू किया तो उसका अपनी पत्नी से बहुत झगड़ा हुआ और अब जो उसे घर में दे दिया जाता है वह चुपचाप उसी को खा लेता है ।
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इसी प्रकार जब मैंने अपनी एक अन्य मरीज़ा को जो 48 वर्षीय बहुत मोटी थी उसको अपनी थाली अपने नौकर से बदलने के लिए कहा तो वह इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं हुई।
फिर मैंने उससे कहा कि अच्छा तुम उबली हुई सब्जियां और ताज़ा सलाद ज्यादा लिया करो तो वह बोली
डॉक्टर साहब मैंने अपनी जिंदगी में सब्जी कभी नहीं खाई है ।
मैंने पूछा फिर खाना किस से खाती हो ?
उसने कहा
मैंने ज़िन्दगी भर हमेशा गोश्त से ही खाना खाया है ।
मैंने उसे डराते हुए समझाया कि तुम्हारा वजन 120 किलोग्राम है जो कि बहुत ज्यादा है और तुम अधिक वजन और ब्लड प्रेशर की वजह से हार्ट फैलियर की अवस्था में रहती हो ।तुम्हारा जिंदा रहने के लिए वजन घटाना बहुत जरूरी है । मेरी इस बात पर वह यह कहते हुए कि डॉक्टर साहब मैं सब्जी नहीं खा सकती और चली गई ।
फिर अगली बार जब वह दिखाने आई तो खुश होकर बोली डॉक्टर साहब मैंने आपकी बात मान ली और इस बार मैंने एक दिन एक बार सब्जी खाई थी ।
मैंने पूछा कौन सी सब्जी खाई थी ?
वह बोली पालक खाई थी ।
मैं – ‘ कितनी ?’
उसने एक हाथ की मुट्ठी के इशारे से बताया कि इतनी खाई थी ।
मैंने पूछा कैसे बनाई थी ?
उसने कहा गोश्त में डालकर पकाई और खाई थी ।
मैं उसके इस सब्जी खाने के तर्क से हैरान था , पर उसकी बातों से लगा कि इसे इस जीवन में मरना पसंद है किंतु वह अपना आहार नहीं बदल सकती और कुछ दिनों बाद ही शायद प्रकृति ने उसे उसकी पसंद का फैसला कर दिया ।
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इसी प्रकार एक सज्जन मुझ से परामर्श लेने आए और अंत में चलते समय मुझसे परहेज के बारे में पूछने लगे । मैंने उनसे उनके खान-पान के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि वह सिर्फ लौकी तरोई आदि की उबली जैसी सब्जी के साथ एक सूखी रोटी सुबह-शाम लेते हैं तथा किसी भी प्रकार का शराब गुटखा सिगरेट इत्यादि का सेवन नहीं करते हैं । उन्होंने बताया कि उनका नौकर ही सुबह-शाम यह खाना उनके लिए बना देता है । वह एक उच्च अधिकारी थे ।
मैंने पूछा कि आपका नौकर कैसा भोजन करता है ?
वह बोले वह साला तो शराब बीड़ी गुटखा और मसालेदार भोजन का आदी है , सब खाता है । अब मैं उन्हें थाली बदलने वाली सलाह भी नहीं दे सकता था ।
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सोचता हूं कि पवित्र पुस्तक बाइबल में दिया गया आहार नियंत्रण के लिए तरीका तो सही है पर शायद मैं ही इस योजना के उचित लाभार्थियों को ढूंढ कर उचित तरीके से उन्हें इसे उनके जीवन में अमल में लाने का तरीका नहीं समझा पाया हूं ।