Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Mar 2024 · 1 min read

देह माटी की ‘नीलम’ श्वासें सभी उधार हैं।

देह माटी की ‘नीलम’ श्वासें सभी उधार हैं।
अहंकार मत कर मनवा,हम सभी किरायेदार हैं।
नीलम शर्मा ✍️

1 Like · 161 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अच्छे   बल्लेबाज  हैं,  गेंदबाज   दमदार।
अच्छे बल्लेबाज हैं, गेंदबाज दमदार।
गुमनाम 'बाबा'
कितना प्यारा कितना पावन
कितना प्यारा कितना पावन
जगदीश लववंशी
दुःख इस बात का नहीं के तुमने बुलाया नहीं........
दुःख इस बात का नहीं के तुमने बुलाया नहीं........
shabina. Naaz
बात हमेशा वो करो,
बात हमेशा वो करो,
sushil sarna
मैंने आईने में जब भी ख़ुद को निहारा है
मैंने आईने में जब भी ख़ुद को निहारा है
Bhupendra Rawat
इन आँखों ने उनसे चाहत की ख़्वाहिश की है,
इन आँखों ने उनसे चाहत की ख़्वाहिश की है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
क्या हुआ ???
क्या हुआ ???
Shaily
एहसास
एहसास
Kanchan Khanna
मेरे दिल ❤️ में जितने कोने है,
मेरे दिल ❤️ में जितने कोने है,
शिव प्रताप लोधी
इन्सान बन रहा महान
इन्सान बन रहा महान
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
याद रख कर तुझे दुआओं में,
याद रख कर तुझे दुआओं में,
Dr fauzia Naseem shad
ये धरती महान है
ये धरती महान है
Santosh kumar Miri
यहां  ला  के हम भी , मिलाए गए हैं ,
यहां ला के हम भी , मिलाए गए हैं ,
Neelofar Khan
शिव सुंदर तुं सबसे है 🌧
शिव सुंदर तुं सबसे है 🌧
©️ दामिनी नारायण सिंह
हाथ माखन होठ बंशी से सजाया आपने।
हाथ माखन होठ बंशी से सजाया आपने।
लक्ष्मी सिंह
प्यार
प्यार
Shriyansh Gupta
*यह दौर गजब का है*
*यह दौर गजब का है*
Harminder Kaur
मेरी भी कहानी कुछ अजीब है....!
मेरी भी कहानी कुछ अजीब है....!
singh kunwar sarvendra vikram
कभी खुश भी हो जाते हैं हम
कभी खुश भी हो जाते हैं हम
Shweta Soni
कागज को तलवार बनाना फनकारों ने छोड़ दिया है ।
कागज को तलवार बनाना फनकारों ने छोड़ दिया है ।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
अगहन माह के प्रत्येक गुरुवार का विशेष महत्व है। इस साल 21 नव
अगहन माह के प्रत्येक गुरुवार का विशेष महत्व है। इस साल 21 नव
Shashi kala vyas
*फंदा-बूँद शब्द है, अर्थ है सागर*
*फंदा-बूँद शब्द है, अर्थ है सागर*
Poonam Matia
🙅अनुभूत/अभिव्यक्त🙅
🙅अनुभूत/अभिव्यक्त🙅
*प्रणय*
यूं ही नहीं हमने नज़र आपसे फेर ली हैं,
यूं ही नहीं हमने नज़र आपसे फेर ली हैं,
ओसमणी साहू 'ओश'
4650.*पूर्णिका*
4650.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"आईने पे कहर"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरे ख्याल से जीवन से ऊब जाना भी अच्छी बात है,
मेरे ख्याल से जीवन से ऊब जाना भी अच्छी बात है,
पूर्वार्थ
Love night
Love night
Bidyadhar Mantry
संकीर्णता  नहीं महानता  की बातें कर।
संकीर्णता नहीं महानता की बातें कर।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
सपने
सपने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...