देहाती कविता
मेरी पहुंच उस गांव तक है
जहां बदहाल जीवन जीने को विवश
सृष्टि का का ये उच्चतम जीव
जिसे देहाती नाम दिया
हम बौद्धिक पृष्ठभूमि में उपजे शहरवासियों ने
इनकी गरीबी रेखा के नीचे
दबी पड़ी है सेंसेक्स की कई ऊंचाईया
दो देशों के द्विपक्षीय समझौते भी
अर्थहीन लगते है देहाती जीवन के संदर्भ में
इनकी आवश्यकताओ की आपूर्ति हेतु
गांव के सेठ साहूकारों से किये
लिखित मौखिक करारों के समक्ष
जिनको निभाते निभाते
सारी उम्र बीत जाती है
उस लाचार देहाती की
रचनाकार ओम प्रकाश मीना