देश भक्ति
साहब
धूर्त हो तुम की बलिदान का कर्ज पैसो से चुकाते हो,
पागल हो तुम की उनके घर जाकर साल ओढ़ाते हो,
हमने एक खोया तो क्या हुआ एक ओर वीर देंगे जमाने को,
मुर्ख हो तुम कि सिर्फ उनकी बातों से बहक जाते हो।
–सीरवी प्रकाश पंवार
साहब
धूर्त हो तुम की बलिदान का कर्ज पैसो से चुकाते हो,
पागल हो तुम की उनके घर जाकर साल ओढ़ाते हो,
हमने एक खोया तो क्या हुआ एक ओर वीर देंगे जमाने को,
मुर्ख हो तुम कि सिर्फ उनकी बातों से बहक जाते हो।
–सीरवी प्रकाश पंवार