देश चला किन हाथों मे
दोस्तों,
एक ताजा ग़ज़ल आज के हालातों पर,
!!देश चला अब किन हाथो में!!
ग़ज़ल
====
देश चला अब किन हाथो मे,
देखो, लोग है बुरे हालातो मे।
==================
पुछो उनसे, क्या हाल उनका
सता मे जो लाऐ जज्बातो में।
==================
मंदिरो-मस्जिद है जिनके मुद्दे
बर्बाद करते व्यर्थ की बातो में।
===================
रोजी रोटी की जहां बात नही,
वहां घर चले, उदारी खातो मे।
===================
हिटलर का हमे फरमान प्यारा
जिंदगी गुजरे, चाहे अघातो में।
===================
न्याय अन्याय सब बेबानी “जैदि”
अब तो नफ़रत है मुलाकातों में।
====================
शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”
बीकानेर।