देश की शान
देश की आन -बान और शान,
ऐसा था वो वीर जवान।
अपने प्राणों की आहुति देकर,
बढ़ाया भारत माँ का मान।
साथी भी चल रहे साथ में,
बंदूकें हथियार हाथ में
दुश्मनों ने था खूब डराया,
मौत का था उन्हें खौफ दिखाया।
मन में था बस जोश भरा,
जिसे नहीं सकता था कोई हरा
कारगिल की चोटी पर तिरंगा फहराना था
मातृभूमि को उसका गुरुर वापस दिलाना था।
शेरशाह का नाम मिला,
तो शेर की तरह दहाड़ दिया
‘ये दिल माँगे मोर’ के आगाज से
दुश्मन को भी ललकार दिया
5140 चोटी पर अपना परचम लहराया था
4875 पर कब्जा किया पर जान को गंवाया था।
मेजर विक्रम बत्रा नाम था उनका
सबको उन पर नाज था
तिरंगा लहराकर या उसमें लिपटकर आऊंगा
ये उनका ही आगाज था।
ये उनका ही आगाज था।
जय हिंद जय भारत