Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2022 · 3 min read

देश की गम्भीर स्थिति

कुछ समय से लोगों के अन्दर सत्य के प्रति ही विद्रोह की एक लहर सी उठ खड़ी हुई है। राष्ट्र और स्वयं भारत माता छद्म राष्ट्रवादियों या कहा जाये धूर्त षणयन्त्रकारियों के चक्रव्यूह में इतनी बुरी तरह फस चुकी हैं की उनकी आत्मा कराह रही है, चारों तरफ अंधविश्वास, अविश्वास, भय और संदेह उत्पन्न कर एक नये राष्ट का निर्माण किया जा रहा जिसमें जनता असत्य, असुरक्षा, अशिक्षा और असंतोष से घुट रही है। जनता का अंर्तमन भविष्य में आने वाली हानियों से आगाह कर रहा है फिर भी लालच, स्वार्थ या भय बस आगे आकर कोई विरोध करने की हिम्मत नही कर पा रहा या जो देश के प्रति चिन्तातुर हो विरोध कर रहे हैं उनकी आवाज को तत्काल गुप्त तरीके से सदैव के लिए दबाया जा रहा है। लक्ष्मी के लालच में लोग अंधे होते जा रहे हैं।
पूरा देश बिका जा रहा है राष्ट्रीय सम्पतियों को खुलेआम नीलाम किया जा रहा है, देश की महारात्न कही जाने वाली कम्पनियाों की बोली लगवा दी गयी। आजादी के बाद पिछले सालों में विकास कर जो भी सार्वजनिक सरकारी संपत्तियों का निर्माण किया गया था उन सभी को विकास के नाम पर बेचा गया और बेचा जा रहा है। काले धन के नाम पर देश की गरीब जनता को कौआ बना दिया गया। 56‘‘ सरकार के नुमाइंदे जनता का अकूत धन ले कर विदेश भाग रहें हैं, और वहीं पर ऐशोंराम की जिन्दगी बिता रहे। सभी बैंक दीवालिया होने की कगार पर गये, वित्तीय संस्थान स्वाहा होते जा रहे। बाजारों के प्रतिष्ठानों पर पर्दे डल गए। आरबीआई रिक्त कर दी गई, वल्र्डबैंक का कर्ज पिछले 7-8 सालों से तिगुने से अधिक हो गया। लोग बेरोजगार हो रहें हैं, मंगाई आसमान छू रही, जनता भूखों मर रही, पूरे सरकारी तन्त्र विकलांग कर दिये गये, राष्ट्र के चारों स्तम्भ न्यायपालिका, व्यवस्थापालिका, कार्यपालिका और मीडिया मुजरा कर रहें हैं। चुनाव आयोग धृतराष्ट्र बनकर बैठा है। चारों तरफ छल, झूंठ, कपट और दंभ का बोलबाला है। फिर भी कुछ क्षद्म राष्ट्रवादी, अतिस्वार्थी अंधभक्त लोग अभी भी सत्ता विहीन पार्टियों को कोस रहें हैं। रेड़ी, ठिलिया और रिक्सा वालों आदि गरीबों का रोजगार शुरू होने का रोना रो रहें। वाह धन्य हैं मानव की बनाई मानवता, धन्य है वह ईश्वर, भगवान या प्रकृति जिसने पृथ्वी पर इतने घोर महास्वार्थी मनवों को प्रगट किया।
देश में धर्मोन्माद की यह कैसी आग फैलाई जा रही है की जो जल रहे हैं, जो झुलस रहें हैं उन्हीं को अपने नष्ट होने का अहसास नही हो पा रहा है, जनता में धर्मवाद, सम्प्रदायवाद, जातिवाद, परिवाद का मुखौटा पहनाया जा रहा है। जीववाद और मानवतावाद की धज्जियां उड़ई जा रहीं हैं। कोविड महामारी में मानवता ने नीचता की नग्नता पर ताण्डव किया, मानव आंगों का खुलेआम व्यापार किया जा रहा। इस कोविड वायरस ने मानव मतिष्क को भी प्रभावित किया है। ऐसा लगता है, सभी चेतना शून्य होकर, संवेदना और भावना शून्य होकर केवल और केवल अपने स्वार्थ की भूख मिटाने के लिए धरती पर बदहवास भटक रहें हैं। लोगों का विशाल व्यक्तित्व बस शरीर तक ही सीमित हो गया है। विचार अत्यधिक संकुचित होते जा रहे हैं। समष्टि की भावना केवल व्यष्टि के पिण्ड मात्र में ही समाहित होती जा रही है। उपकार और परोपकार रूपी भावना की नदियां सूख चुकी हैं। इस समय असत्य अपनी चरमसीमा पर तांडव कर रहा है।, अंधकार की आसुरी सक्तियों ने सत्य को कहीं घने बदलों की ओट में छिपा दिया। जनता असंतुष्ट, अप्रसन्न, खिन्न, और चिन्नभिन्न है। जनमानस को असत्य की आसुरी शक्तियों द्वारा सम्मोहित किआ जा रहा हा। यदि इसीतरह चलता रहा तो हम कहीं विश्वगुरू बनने की जगह विश्वहब्सी न बन जायें।
© “अमित”
9455665483

Language: Hindi
1 Like · 193 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*रानी ऋतुओं की हुई, वर्षा की पहचान (कुंडलिया)*
*रानी ऋतुओं की हुई, वर्षा की पहचान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
16. आग
16. आग
Rajeev Dutta
पहला कदम
पहला कदम
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
प्रकृति
प्रकृति
Monika Verma
सबसे मुश्किल होता है, मृदुभाषी मगर दुष्ट–स्वार्थी लोगों से न
सबसे मुश्किल होता है, मृदुभाषी मगर दुष्ट–स्वार्थी लोगों से न
Dr MusafiR BaithA
"अहम का वहम"
Dr. Kishan tandon kranti
*नीम का पेड़*
*नीम का पेड़*
Radhakishan R. Mundhra
#क़तआ
#क़तआ
*Author प्रणय प्रभात*
मैं जी रहा हूँ जिंदगी, ऐ वतन तेरे लिए
मैं जी रहा हूँ जिंदगी, ऐ वतन तेरे लिए
gurudeenverma198
छोड़ दिया
छोड़ दिया
Srishty Bansal
दोहा पंचक. . . . प्रेम
दोहा पंचक. . . . प्रेम
sushil sarna
है जो बात अच्छी, वो सब ने ही मानी
है जो बात अच्छी, वो सब ने ही मानी
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
बात का जबाब बात है
बात का जबाब बात है
शेखर सिंह
Life
Life
C.K. Soni
* गीत मनभावन सुनाकर *
* गीत मनभावन सुनाकर *
surenderpal vaidya
*औपचारिकता*
*औपचारिकता*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जब सांझ ढल चुकी है तो क्यूं ना रात हो
जब सांझ ढल चुकी है तो क्यूं ना रात हो
Ravi Ghayal
ख्वाब आँखों में सजा कर,
ख्वाब आँखों में सजा कर,
लक्ष्मी सिंह
The Lost Umbrella
The Lost Umbrella
Sridevi Sridhar
अगहन माह के प्रत्येक गुरुवार का विशेष महत्व है। इस साल 30  न
अगहन माह के प्रत्येक गुरुवार का विशेष महत्व है। इस साल 30 न
Shashi kala vyas
स्त्री:-
स्त्री:-
Vivek Mishra
माता के नौ रूप
माता के नौ रूप
Dr. Sunita Singh
हँसते गाते हुए
हँसते गाते हुए
Shweta Soni
जाहि विधि रहे राम ताहि विधि रहिए
जाहि विधि रहे राम ताहि विधि रहिए
Sanjay ' शून्य'
खुदीराम बोस की शहादत का अपमान
खुदीराम बोस की शहादत का अपमान
कवि रमेशराज
भैतिक सुखों का आनन्द लीजिए,
भैतिक सुखों का आनन्द लीजिए,
Satish Srijan
दोहे
दोहे
Santosh Soni
💐प्रेम कौतुक-521💐
💐प्रेम कौतुक-521💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बिहार दिवस  (22 मार्च 2023, 111 वां स्थापना दिवस)
बिहार दिवस  (22 मार्च 2023, 111 वां स्थापना दिवस)
रुपेश कुमार
मौहब्बत अक्स है तेरा इबादत तुझको करनी है ।
मौहब्बत अक्स है तेरा इबादत तुझको करनी है ।
Phool gufran
Loading...