“देश और हमारा उत्तरदायित्व
एक छोटा घर जिसमें पति पत्नी, उनके माता-पिता व बच्चे रहते हैं। घर के मुखिया अर्थात् पिता की निर्णायक भूमिका होती है।मुखिया की जिम्मेदारी के साथ साथ उस परिवार के प्रत्येक सदस्य के परिवार के प्रति थोड़ा या बड़ा दायित्व होते हैं जिनके सही प्रकार से निर्वहन के बिना वह घर अव्यवस्था का शिकार हो कर विघटन व विनाश की ओर अग्रसर हो जाता है।
ठीक उसी प्रकार देश वह विशालकाय परिवार होता है जिसके सदस्य असंख्य परिवार होते हैं। इस विशाल परिवार का मुखिया प्रशासन का सर्वोच्च पदाधिकारी होता है। वही कुछ प्रमुख प्रबुद्ध लोगों के साथ मिलकर इस देश रूपी महापरिवार के सुख दुःख का उत्तरदायी होता है।
मेरा कहने का तात्पर्य यह है कि जिस प्रकार परिवार का हर सदस्य परिवार में रहने के अधिकार का उपभोग करना अपना हक समझता है तो बदले में परिवार के प्रति कुछ उसके दायित्व भी होते हैं जिनका निर्वहन हर सदस्य को परिवार के सुचारू रूप से चलने के लिए अनिवार्य है ठीक उसी तरह देश रूपी वृहत् कुटुम्ब के सदस्य के रूप हमारे भी अनेक दायित्व हैं जिनको सही रूप में निभाने से देश सुरक्षित रहता है, संवर्धित होता है सुखी व सम्पन्न बनता है।
इस प्यारे देश रूपी अपने परिवार को स्वस्थ, स्वच्छ व विकसित बनाने में मदद देने के हर नागरिक को चाहिए कि
1.प्रत्येक सार्वजनिक सम्पत्ति का संरक्षण करे
2.अपने कार्य स्थल पर नियमित व निर्धारित समय पर पहुंचें।
3.सरकारी सम्पत्ति का नुकसान होने से रोकें
4.देश विरोधी गतिविधियों में न ही लिप्त हो न ही प्रोत्साहन दें।
5.जरूरत मंदों की यथासंभव सहायता करें
6.देश हित से जुड़ी योजनाओं व कार्यों से जुड़ें।
7.हमारा सबसे बड़ा व महत्वपूर्ण दायित्व है कि हम अपने देश की सेना को हर स्थिति हर जगह व हर हालत में सर्वाधिक सम्मान दें। सरहद पर तैनात सिपाही यदि अपने कर्तव्यों से विमुख हो जाएं तो देश में सर्वत्र अराजकता का वास ही हो जाए व उसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाए। इन जवानों के बलबूते पर आज देश की लगभग 90%जनता सुख और चैन की नींद सोती है केवल उन परिवारों को छोड़कर जिनके जिगर के टुकड़े सीमा पर हमारी सुरक्षा प्राचीर बन अडिग खड़े हैं।
इन्हें देखकर देश को प्रत्येक
नागरिक को अपने कर्तव्यों का बोध होना ही चाहिए और हर नागरिक को अपने हिस्से का योगदान देकर देश के विकास संवर्धन व संरक्षण की प्रक्रिया में यथासंभव अपनी सहभागिता दर्ज करवानी ही चाहिए मेरा यह स्पष्ट व अडिग मत है।
जय हिंद!
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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