Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Aug 2023 · 2 min read

देशप्रेम

व्यंग्य
ये कैसा देशप्रेम
****************
आज सुबह सुबह
एक शहीद की आत्मा से
मेरी आत्मिक मुलाकात हो गई
औपचारिक हाल चाल के बाद
शहीद की आत्मा रो रोकर कहने लगी।
हमारी शहादत का हमें
ये कैसा सिला मिल रहा है?
जब देश का माहौल
स्वार्थवश खराब किया जा रहा है।
अनाचार, अत्याचार, भ्रष्टाचार का
इतिहास लिखा जा रहा है,
धर्म के नाम पर माहौल बिगाड़ा जा रहा है
कभी मंदिर कभी मस्जिद
कभी धार्मिक यात्राओं की आड़ में
पत्थरबाजी, बमबाजी, हिंसाकर
विघ्न डालने, माहौल गरमाने का
कुचक्र,षड्यंत्र किया जा रहा है,
आग भड़काया ही नहीं लगाया भी जा रहा है,
राजनीति की आड़ में
भाई भाई को आपस में लड़ाया जा रहा है,
सार्वजनिक संपत्तियों को ही नहीं
आम लोगों के घरों दुकानों, प्रतिष्ठानों को
लूटकर, आग लगाकर, बर्बाद कर
कौन सा देशप्रेम दिखाया जा रहा है?
दंगा फैलाने,आग लगाने ही नहीं
कत्लेआम करने तक के लिए उकसाया जा रहा है,
व्यवस्थित ढंग से योजनाएं बनाई जाती हैं
ईंट पत्थर, हथियार पहले से ही
भंडारित कर लिये जाते हैं।
नारियों का उत्पीड़न आज भी हो रहा है
अब तो सरेआम नंगा तक किया जा रहा
कई कई टुकड़ों में काटा जा रहा है,
सब कुछ सरकारों की नाक के नीचे हो रहा है।
सुरक्षा तंत्र पर सत्ता की राजनीति का अंकुश हो गया है।
आज की राजनीति भटक गई है
समस्या, घटना की पुनरावृत्ति से मुंह मोड़
अपनी अपनी सुविधा से राजनीति हो रही है।
संवेदनाएं मर रही हैं आज के नेताओं की
राजनीतिक लाभ के लिए आज
अपशब्दों की बेलगाम बौछार हो रही,
एक स्वर में राष्ट्रहित की आवाज
भला अब कहां आती?
राजनीतिक विरोध के लिए
राष्ट्र को नीचा दिखाने में भी
आज के नेताओं को शर्म कहां आती?
क्या क्या कहें मित्र
कहते हुए अब मुझे खुद ही शर्म आने लगी है,
लगता है मेरी पीड़ा आपको भी रुलाने लगी है।
पर क्या करूं मेरी शहादत ही
मुझे अब आंख दिखाने लगी है,
रोज ही शिकायत करने लगी है।
माफ़ करना मेरे यार मुझे अफसोस है
तुम्हें दु:खी नहीं करना चाहता था
पर तुम्हारी आत्मीयता पाकर खुद को रोक न पाया
इसलिए आज तुमसे अपनी वेदना कह सुनाया।
कुछ कर सको तो मेरी आत्मा की शांति के लिए
कुछ न कुछ जरूर करना,
वरना चुपचाप देशप्रेम का तमाशा देखते रहना
और हमारी शहादत पर मौन रह जाना।
खुद को परेशान मत करना,न आंसू बहाना।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

1 Like · 233 Views

You may also like these posts

■ साल चुनावी, हाल तनावी।।
■ साल चुनावी, हाल तनावी।।
*प्रणय*
अब ऐसे दस्तूर हुए हैं
अब ऐसे दस्तूर हुए हैं
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
झूठे परदे जो हम हटाने लगे,
झूठे परदे जो हम हटाने लगे,
पंकज परिंदा
3424⚘ *पूर्णिका* ⚘
3424⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
बावन यही हैं वर्ण हमारे
बावन यही हैं वर्ण हमारे
Jatashankar Prajapati
जय हो जय हो महादेव
जय हो जय हो महादेव
Arghyadeep Chakraborty
कामुकता एक ऐसा आभास है जो सब प्रकार की शारीरिक वीभत्सना को ख
कामुकता एक ऐसा आभास है जो सब प्रकार की शारीरिक वीभत्सना को ख
Rj Anand Prajapati
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
"जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
789Club là một trong những nền tảng cá cược trực tuyến hàng
789Club là một trong những nền tảng cá cược trực tuyến hàng
789clubshow
चलो गीत गाएं
चलो गीत गाएं
महेश चन्द्र त्रिपाठी
फिर तेरी याद आई , ए रफी !
फिर तेरी याद आई , ए रफी !
ओनिका सेतिया 'अनु '
188bet
188bet
188bet
माटी करे पुकार 🙏🙏
माटी करे पुकार 🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
भोर का दृश्य
भोर का दृश्य
surenderpal vaidya
श्रेय एवं प्रेय मार्ग
श्रेय एवं प्रेय मार्ग
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
इतना दिन बाद मिले हो।
इतना दिन बाद मिले हो।
Rj Anand Prajapati
मन्नतों के धागे होते है बेटे
मन्नतों के धागे होते है बेटे
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
गलतियाँ करना ''''अरे नही गलतियाँ होना मानव स्वभाव है ।
गलतियाँ करना ''''अरे नही गलतियाँ होना मानव स्वभाव है ।
Ashwini sharma
हम रहें कि न रहें
हम रहें कि न रहें
Shekhar Chandra Mitra
कलम और रोशनाई की यादें
कलम और रोशनाई की यादें
VINOD CHAUHAN
फूलों ने कली
फूलों ने कली
manjula chauhan
लिखना चाहूँ  अपनी बातें ,  कोई नहीं इसको पढ़ता है ! बातें कह
लिखना चाहूँ अपनी बातें , कोई नहीं इसको पढ़ता है ! बातें कह
DrLakshman Jha Parimal
कार्यक्रम का लेट होना ( हास्य-व्यंग्य)
कार्यक्रम का लेट होना ( हास्य-व्यंग्य)
Ravi Prakash
चंद्रशेखर
चंद्रशेखर
Dr Archana Gupta
नारी
नारी
Nitesh Shah
अंहकार
अंहकार
Neeraj Agarwal
स्नेह
स्नेह
Rambali Mishra
⚘छंद-भद्रिका वर्णवृत्त⚘
⚘छंद-भद्रिका वर्णवृत्त⚘
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
Loading...