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27 Jul 2023 · 1 min read

देव घनाक्षरी

दिल गये हम हार ,हो गया हमें भी प्यार,उनसे हमारी बस, मिली ही जो जरा नज़र
हुए ऐसे बेखबर ,खुद की भी न खबर , आईने में देख जाना, और हम गये निखर ।
चुननी पड़ी मगर, विरह की ही डगर ,प्यार को हमारे लगे, लग गई कोई नज़र
सपने भी चूर हुए, नींद से भी दूर हुए ,आंखों के समन्दर में, आँसुओं की बस लहर

2

नकली है मुसकान, नकली ही खान पान, नकली का चल गया , आजकल देखो चलन
कूलर ए सी हीटर भी,आज हो गये जरूरी ,मौसम की मार तन ,कर न पाए जो सहन
पास कोठी और कार,रत्नों से भरे भंडार ,सर पे सज़ा हो ताज, फिर भी है बेचैन मन
असली मिलेगी खुशी ,दूर होगी तीरगी भी,भर लें अगर हम , मन में ही संतोष धन

डॉ अर्चना गुप्ता

1 Like · 1 Comment · 141 Views
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