देवीमहिमा
सर्वेश्वरी , भूतेश्वरी,
ममतामयी मातेश्वरी।
चेतन तुम्हीं से सृष्टि है, ममता दया की वृष्टि है,
सर्वांग में तुम हो बसी, ज्योतिर्मयी तपपुंज सी ।
आनंद की संचारिणी,
तुमको नमन जगदीश्वरी।
सद्ज्ञान की वाणी तुम्हीं, कलकण्ठ की दानी तुम्हीं,
उद्भव तुम्हीं,तुम ही प्रलय, ब्रह्मांड का तुममें विलय।
जग का सदा मङ्गल करो,
वन्दन तुम्हें परमेश्वरी।
दुर्गा भवानी अम्बिके, सुरसुन्दरी माँ चण्डिके,
शिवरंजिनी, कात्यायनी, विमला कला वरदायिनी।
सब रूप में नारायणी
तुम में समाहित हैं हरी ।
जगदीश शर्मा सहज