देर लगेगी
बदल गया जमाना है….
जरा देर लगेगी
न कोई ठौर ठिकाना है…..
जरा देर लगेगी
तुम होते जो कुत्ते!
तो लेते पाल तुम्हे…
तुम अनाथ बच्चे हो!
जरा देर लगेगी
कुत्ते प्यारे लगते हैं
पर देशी वाले नहीं…
तुम तो इंसान के बच्चे हो…
जरा देर लगेगी
तुम अनाथ बच्चे हो!
जरा देर लगेगी
हम रुतबे वाले हैं
तुम मैले -कुचैटे रहते हो
साथ तुम्हे ले जाएं तो….
इज्जत को ठेस लगेगी
तुम अनाथ बच्चे हो!
जरा देर लगेगी
हमें कुत्तों से मोहब्बत है
हम समझते हैं इनको…
इंसानों को समझने में
जरा देर लगेगी
तुम अनाथ बच्चे हो!
जरा देर लगेगी
-सिद्धार्थ गोरखपुरी