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16 May 2023 · 1 min read

देने को जब कुछ नहीं ,धोखा देते लोग

देने को जब कुछ नहीं ,धोखा देते लोग
इनके मुखड़े पर दिखे , छल प्रपंच का रोग
माँ के कडुवे बोल भी , मानो प्रभु आशीष
सीख सही देती सदा , जनु भू पर जगदीश

हरदम चालाकी नहीं ,कर सकता इंसान ।
बाजी अंतिम हाथ में , खुद रखता भगवान

वक्त वही ,तन्हाई भी, रात वही , प्रतिघात।
यादें जो फीकी पड़ी , उभर गईं उस रात।
सूरज सिखलाता हमें , रोशन हो संसार ।

बांटे आभा , ताजगी , मन सबके उजियार।।

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