देखा ये साकार !!
तुमको पाकर है मिली, मुझको ख़ुशी अपार !
होती है क्या जिंदगी, देखा ये साकार !!
देखा ये साकार, अवर्णित रूप तुम्हारा।
मनमोहक मुस्कान, हृदय है जिस पर वारा।
सुन सौरभ की बात, मिले क्या मंदिर जाकर !
हुआ भवन है धाम, प्रिये अब तुमको पाकर !!
✍ सत्यवान सौरभ
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