” देखा ना कैसे बना दिया “
” देखा ना कैसे बना दिया ”
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( व्यंगात्मक अभिव्यक्ति ..डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ” )
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मित्र बनाने की लालसा तो सबके सर चढ़ कर बोल रही है !…..हमारे हाथों में अनरोइड मोबाइल और लैपटॉप का यन्त्र जो आ गया ! …हमने फेसबुक अकाउंट भी खोल रखे हैं ! …..अपने प्रोफाइलों में अपनी डिग्रियां जमके लिख डाली हैं ! ……हाई स्कूल हमने ‘डी० पी ० एस ‘दिल्ली से किया है ….कॉलेज ..’जवाहर लाल नेहरु कॉलेज’ … से किया है …वहीँ हम ‘प्रोफ्फेसर’ बन गए ..हमने बहुत सारी किताबें लिखीं ….हमें अनेक पुरष्कारों से नवाजा गया है ……इत्यादि..इत्यादि !…… इन लुभावन प्रोफाइलों को देखकर कौन अपने धीरज को सम्भाल कर रखेगा ? …..हम मित्रता के अमोल सूत्र को जान ना सके ..और ..ना पहचान ही सके ! …..मित्रता में सबसे पहली बात हमें ” सामान विचारधारा ” …..वाले को देखना चाहिए ……….दूसरी बातें …..” आपसी सहयोग “……….तीसरी बातें …….” एक दूसरे का सम्मान “..चौथी बातें …….” गोपनीयता ” …….और पाँचवी बातें ……..” आपसी मिलन ” …को बिना समझे हम तपाक से मित्र बन जाते हैं ! ……” गोपनीयता ‘…और ..”आपसी मिलन ” …..की तो कल्पना ही की नहीं जा सकती है….. क्योंकि डिजिटल मित्रता में यह संभव हो ही नहीं सकता ! ……एक बार तो आप हमें स्वीकार कर लें …..फिर हम आपको अपना जलवा दिखायेंगे !…. आपकी बातों को ध्यान देना तो दूर ..हम दूसरे के पोस्टों से आपका दिल बहलाएँगे…… ..अशिष्टता वाली तश्वीरें आपको दिखायेंगे ……….राजनीति के उलजलूल पोस्टों से आपके सर में बाम लगायेंगे ……….पर आपनी बातें ..अपना उद्गार …अपनी टिप्पनिओं ..समालोचना और दो प्यार के बोल तो हमने सीखा नहीं है उसे आपको सुनायेंगे नहीं ! …..अब आपको पता चल गया कि…….. हम डी० पी ० एस दिल्ली…कॉलेज जवाहर लाल नेहरु कॉलेज ….प्रोफ्फेसर …के दहलीज तक तो पहुंचे ही नहीं ……..ना हमने कोई किताब ही पढ़ी ……….तो किताब हम क्या लिखेंगे ?…बस गोपनीयता के मंत्र को हम याद रखे हैं …….हम आपको यह नहीं बताएँगे कि हम दिल्ली के किस राजनीति कार्यशाला के व्यवस्थापक हैं ?
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत