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9 Aug 2024 · 1 min read

दूहौ

दिवलौ कुळ रौ दीकरौ, दीकरीय कुळ आंण।
बहुवां लिछमी आंगणै, भलां घरां पहचांण।।

जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया…✍️

Language: Rajasthani
40 Views
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