दूसरों को समझने से बेहतर है खुद को समझना । फिर दूसरों को समझ
दूसरों को समझने से बेहतर है खुद को समझना । फिर दूसरों को समझने का प्रयास करना । दूसरों को समझने के लिए खुद को निष्पक्ष,तटस्थ, पूर्वाग्रहमुक्त, दुर्भावना, ईर्ष्या, जुगुप्सा से मुक्त कर प्रबल आवेगों को नियंत्रित करना होगा।स्व,अहम् और वहम् से मुक्त होना होगा। अन्यथा
जाकी रही भावना जैसी..…..